पाताल भुवनेश्वर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। यहां आज भी श्री गणेश का कटा हुआ सर रखा हुआ है। जहाँ है स्वर्ग जाने का मार्ग है। यहां के बारे में कहा जाता है कि Patal Bhuvaneshwar पर तैंतीस कोटि देवी देवता निवास करते हैं।
पाताल भुवनेश्वर जिसका शाब्दिक अर्थ है भगवान शिव का उप-क्षेत्रीय तीर्थस्थान। ये तीर्थस्थान एक गुफा मंदिर है जिसे सुंदरता और रहस्यों का एक बेजोड़ नमूना कहा जा सकता है। पाताल भुवनेश्वर नामक ये गुफा विशालकाय पहाड़ी से करीब 90 फिट नीचे है। इस मंदिर की मान्यताओं के अनुसार यह गुफा मंदिर त्रेतायुग में राजा ऋतुपूर्ण के द्वारा खोजा गया था।
द्वारपरयुग में पांडवों ने यहाँ शिवजी के साथ चौसर (चौपड़) खेला और कलियुग में जगत गुरु शंकराचार्य जी को आठवीं शताब्दी में इस गुफा का साक्षात्कार हुआ जिसके बाद उन्होंने यहां तांबे के शिवलिंग की स्थापना की। स्कंदपुराण के अनुसार यहाँ भगवान् शिव खुद निवास करते हैं और अन्य देवी-देवता उनकी पूजा करने यहां आते हैं।
पुराणों के अनुसार पाताल भुवनेश्वर मंदिर के चार दरवाज़े हैं रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार है। बताया जाता है कि जब रावण मरा था तो पापद्वार का दरवाजा बंद हो गया। कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत के बाद रणद्वार को भी बंद कर दिया गया। अब यहां केवल दो द्वार धर्मद्वार और मोक्षद्वार ही खुले हुए हैं।