सीमा पर युद्ध की स्थिति के दौरान हर परिस्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेना हरिद्वार के जंगली इलाके में युद्धाभ्यास कर रही है. पिछले करीब एक महीने से पश्चिम कमांड के सैनिक दिन-रात अभ्यास कर पसीना बहा रहे हैं. हिमालय क्षेत्र में युद्ध की स्थिति में अपनी दक्षता परखने के लिए ये सैन्य अभ्यास किया जा रहा है. जिसे ‘रैम प्रहार’ का नाम दिया गया है.
हरिद्वार में झिलमिल झील फॉरेस्ट रेंज इलाके में गंगा की नील धारा के पास भारतीय सेना के टैंक, हेलीकॉप्टर और हवाई जहाजों की गड़गड़ाहट की आवाज जंगल के शांत वातावरण में गूंज रही है. लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने कहा ट्रेनिंग और प्रशिक्षण के जरिए भारतीय सेना सभी इक्विपमेंट के इस्तेमाल की अपनी दक्षता को बढ़ा सके इस उद्देश्य से रैम प्रहार युद्धाभ्यास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा अगर दुश्मन अपनी हरकतों से बात नहीं आता है तो ऑपरेशन सिंदूर की तरह भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है.उन्होंने बताया दुश्मन हमारे इस अभ्यास को देखकर थोड़ा सबक ले सकती है. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी जरूरी बताया है. उन्होंने कहा हम अपने डिसीजन मेकिंग, सर्विलांस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसमें काफी स्कोप है.
हरिद्वार में पिछले एक महीने से आर्मी की गाड़िया टैंक और कैंप देखकर लोगों में कौतूहल है. सब इसकी चर्चा भी कर रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार (पश्चिमी कमान) ने कहा हमारी फॉर्मेशन रैम डिवीजन पिछले एक महीने से ट्रेनिंग कर रही है. यह डिविजन हमारी सिस्टम कमान की ऑफेंसिव कमान है. इस डिवीजन का मुख्य मकसद दुश्मन के इलाके में घुसकर ऑब्जेक्टिव पर कब्जा करना है. यह पूरी ट्रेनिंग और एक्सरसाइज उस ऑब्जेक्टिव को हासिल करने के लिए है.उन्होंने कहा आज की लड़ाई काफी कॉम्प्लिकेटेड है. आज टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है.
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने कहा हमारी एक्सरसाइज ऑपरेशनल टास्क को ध्यान में रखते हुये हो रही है. उन्होंने कहा हमारे बॉर्डर पर कई नदियां हैं. लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने कहा रिवर क्रॉसिंग की ट्रेनिंग हमारे लिए बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा यहां जो भी हो रहा वह ऑपरेशन रोल के हिसाब से हो रहा है.