राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे नारों से मैदान से लेकर पहाड़ का हर शहर, कस्बा, नगर और गांव गूंज रहा था। विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता होने के नाते मुझ पर युवाओं को राम मंदिर की कारसेवा से जोड़ने की जिम्मेदारी थी।ऋषिकेश में आंदोलन के दौरान मैं गिरफ्तार हुआ और 15 दिन बाद जब जेल से छूटा तो मेरी दाढ़ी बढ़ गई थी। सूरत पहचानी नहीं जा रही थी। मां के सामने से गुजरा तो वह मुझे पहचान नहीं पाई। मैं समझा जेल जाने की वजह से शायद वह मुझसे नाराज है। लेकिन बाद में मां ने कहा कि वह मुझे मेरी बढ़ी हुई दाढ़ी की वजह से पहचान नहीं पाई थी।
वह दिन भुलाए नहीं भूलता। वर्ष 1994 से पहले का समय था। कार सेवक अयोध्या जाने को बेताब थे। बच्चा, जवान, बूढ़ा, हर किसी की जुबान पर एक ही नारा था, राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। मैं विद्यार्थी परिषद का संगठन महामंत्री था। मेरे पास ऋषिकेश का दायित्व था।
पौड़ी की कांसखेत जेल में ले जाया गया