श्रीनगर वैकुंठ चतुर्दशी मेले का आगाज, सीएम ने किया वर्चअल शुभारंभ

पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में पौराणिक एवं प्रसिद्ध वैकुंठ चतुर्दशी मेले का मंगलवार को रंगारंग आगाज हुआ. इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल माध्यम से मेले का शुभारंभ किया. आवास विकास मैदान में आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि श्रीनगर का यह मेला उत्तराखंड की प्राचीन परंपरा, आस्था और लोकसंस्कृति का जीवंत उदाहरण है. यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने, पारंपरिक कला, संस्कृति और हस्तशिल्प को प्रोत्साहित करने का भी माध्यम बन चुका है.

सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश सरकार देवभूमि की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए सतत प्रयासरत है. बदरीनाथ और केदारनाथ मास्टर प्लान के तहत पुनर्निर्माण कार्य हों या ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण कार्य, सभी योजनाएं तीव्र गति से प्रगति पर हैं. श्रीनगर क्षेत्र में भी व्यापक स्तर पर विकास कार्य किए जा रहे हैं. इसमें रोडवेज बस स्टेशन में पार्किंग का निर्माण, अलकनंदा नदी के तट पर गंगा संस्कृति केंद्र की स्थापना और श्रीनगर पालिका को नगर निगम का दर्जा देकर नगर के पार्कों, पार्किंग स्थलों और सड़कों का सुधार कार्य शामिल है.

उन्होंने कहा कि बिलकेदार और बेलकंडी क्षेत्र में नई टाउनशिप विकसित करने का कार्य भी प्रगति पर है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि श्रीनगर गढ़वाल शिक्षा, संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है. वैकुंठ चतुर्दशी मेला यहां की ऐतिहासिक पहचान है, जिसे संजोकर रखना हम सबकी जिम्मेदारी है. इस मेले में हर वर्ग की सहभागिता, सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाती है. राज्य सरकार का प्रयास है कि ऐसे पारंपरिक मेलों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिले. उन्होंने कहा कि विकास प्रदर्शनी के माध्यम से शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंच रही है, जिससे जनसहभागिता और पारदर्शिता दोनों को बल मिलेगा.

पौड़ी जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने वैकुंठ चतुर्दशी पर्व की शुकामनाएं देते हुए भगवान कमलेश्वर महादेव को नमन किया. कार्यक्रम के बाद डीएम और मेयर ने कमलेश्वर महादेव मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित कर पूजा-अर्चना की और भगवान कमलेश्वर से लोककल्याण और समृद्धि की कामना की.

इस दौरान उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक मेला समर्पण, आस्था और सामूहिक प्रयासों का परिणाम है. उन्होंने कहा कि यह मेला केवल सांस्कृतिक आयोजन न रहकर सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. विभिन्न जिलों से व्यापारी, शिल्पकार और स्वयं सहायता समूह इसमें भाग ले रहे हैं. मेले में कई नई गतिविधियां जोड़ी गई हैं, जिनमें बेबी शो, फन गेम्स, पारंपरिक परिधानों की प्रदर्शनी, महिला स्पोर्ट्स प्रतियोगिताएं और विभिन्न विषयों पर गोष्ठियों का आयोजन शामिल है, जिससे कार्यक्रम और अधिक आकर्षक बना है.

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