आईजी ने बताया उत्तराखंड साइबर अटैक का सच, गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस, SIT का किया गया गठन

उत्तराखंड के स्टेट डाटा सेंटर पर दो अक्टूबर को हुए साइबर अटैक के बाद लगभग सभी वेबसाइट और एप्लीकेशन अब सुचारू हो गए हैं. वहीं उत्तराखंड पुलिस संदिग्ध साइबर अटैकर्स का पता लगाने में जुट गई है. मंगलवार आठ अक्टूबर को पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) लॉ एंड ऑर्डर निलेश आनंद भरणे ने प्रेसवार्ता कर साइबर अटैक के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

आईजी भरणे ने बताया कि 2 अक्टूबर को 2:45 से 2:55 बजे के बीच सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स) ने काम करना बंद कर दिया था. इसके बाद अन्य सिस्टमों को चेक किया गया तो वो भी काम नहीं कर रहे थे, जिसकी जानकारी आईटीडीए (सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी) को दी गई. लिहाजा जब आईटीडीए के सर्वर को देखा गया तो सर्वर के सभी फोल्डर पर हैकिंग संबंधित मैसेज दिखाई दे रहा था.

आईजी भरणे के मुताबिक मैसेज के जरिए हैकिंग करने वाले व्यक्ति ने संपर्क करने के लिए मेल आईडी दी थी. साथ ही भुगतान के बाद डाटा सुरक्षित उपलब्ध कराए जाने कि इस जानकारी दी थी, जिसके चलते 3 अक्टूबर को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में धारा 308 (4) बीएनएस और 65/66/66- सी आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया. साथ ही पूरे मामले की गंभीरता से जांच के लिए निर्देशित किया गया.

आईजी ने बताया कि साइबर अटैक के इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह ने एक स्पेशल टीम का गठन किया. पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा के नेतृत्व में गठित स्पेशल टीम इस पूरे मामले की जांच कर विधिक कार्रवाई करेगी. हालांकि पुलिस टीम की ओर से तमाम डिजिटल लॉग और सर्च संरक्षित करने के लिए सिस्टम और वायरस की फाइल को रिकवर कर लिया गया है. प्रारंभिक जांच में वायरस आने का तकनीकी कारण की भी विवेचना की जा रही है.

इसके अलावा तकनीकी उपकरण की वर्चुअल मशीन की फोरेंसिक जांच के लिए कॉपी भेजी जाएगी. साथ ही आईटीडीए के साइबर एक्सपर्ट के साथ साइबर ढांचे को बेहतर कर लिया गया है. आईजी भरणे ने बताया कि डाटा सेंटर वर्चुअल मशीन पर काम करता है. ऐसे में 10 से 12 वर्चुअल मशीन इस अटैक से प्रभावित हुई थी, लेकिन इस अटैक की सूचना मिलते ही सभी सिस्टम को रोक दिया गया था. हालांकि, अब पुलिस का सिस्टम नॉर्मल हो चुका है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए देश की तमाम केंद्रीय एजेंसी I4C गृह मंत्रालय, NIA, CERT- IN और NCIIPC सुमित एजेंसियों से सहयोग लिया गया है. डाटा सेंटर के सभी मशीन को तीन बार स्कैन किया गया है. साथ ही अलग अलग टूल के माध्यम से इसकी स्कैनिंग की गई है.

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