रक्षाबंधन से एक दिन पहले बाबा केदार के धाम में भातुज मेला यानी की अन्नकूट उत्सव की धूम देखने को मिल रही है। अन्नकूट उत्सव को राखी से एक दिन पहले यानी की मंगलवार देर रात के बाद धूमधाम से मनाया जाएगा।
अन्नकूट उत्सव के मौके पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने तैयारी पूरी कर ली है। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि दानीदाता के सहयोग से 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।
क्यों मनाया जाता है भतुज मेला
- केदारनाथ मंदिर में भतुज मेला (अन्नकूट उत्सव) मानाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसका आयोजन रक्षाबंधन से ठीक पहले किया जाता है।
- मेले में सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान शिव के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
- इसके बाद नए अनाजों का लेप लगाकर स्वयंभू लिंग का श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान भोले बाबा के श्रृंगार का दृश्य अलौकिक होता है। श्रद्धालु रात दो बजे से सुबह चार बजे तक श्रृंगार किए गए भोले बाबा के स्वयंभू लिंग के दर्शन करते हैं।
- इसके बाद भगवान को लगाया अनाज के इस लेप को यहां से हटाकर किसी साफ स्थान पर विसर्जित कर दिया जाता है।
- मंदिर समिति के कर्मचारी मंदिर की साफ सफाई करने के बाद ही अगले दिन भगवान की नित्य पूजा-अर्चना करते हैं।
- मान्यता है कि नए अनाज में पाए जाने वाले विष को भोले बाबा स्वयं ग्रहण करते हैं। इसलिए इस त्योहार को मनाने की परंपरा है।