80 सालों से उत्तराखंड के इन गांवों में नहीं उड़ा गुलाल

देश में इन दिनों होली के उत्सव पर रंगों की धूम है। पर सीमांत के करीब 12 गांव ऐसे हैं, जहां रंग खेलना तो दूर लोगों को टीका तक नहीं लगाते हैं। ऐसा नहीं है कि यहां के लोग होली से अंजान हैं। गांव के लोग मिलकर होली को उत्साह से मनाते थे।

धार्मिक मान्यताओं और लगातार हुए हादसों के कारण आठ दशकों से गांव के लोगों ने होली से दूरी बना रखी है। ग्रामीणों का मानना है कि अगर गांव में होली मनाई तो अशुभ घटना हो सकती है। कुरीजिमिया के पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह बताते हैं कि 82 सालों से होली पर कोई कार्यक्रम नहीं होता।

लोग होली का टीका तक नहीं लगाते। उन्होंने कहा कि पहले गांवों में उत्साह से होली मनाई जाती थी। होल्यार गायन करते हुए एक गांव से दूसरे गांव जाकर उत्साह से होली मनाते थे और गीत गाते थे। इसके बाद गांव में लगातार होली पर कुछ न कुछ हादसे होने लगे।

इसे देखते हुए सभी ने होली न मनाने का फैसला किया था। बरनिया गांव के पूर्व प्रधान मोहन दोसाद ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के चलते लोगों ने होली मनानी बंद की और उसके बाद से सब कुछ ठीक रहने लगा। अब होली के दौरान गांव में सन्नाटा रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *