गले लगाए, काजू-किशमिश खिलाए और… जब सुरंग में फंसे मजदूरों ने रैट माइनर्स को देखा

भगवान, इंसान और विज्ञान… उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को इन तीनों पर अटूट विश्वास था। एक-दो घंटे नहीं, करीब चार सौ घंटे वो सूरज की रोशनी से दूर एक टनल में फंसे रहे। करोड़ों भारतीयों की प्रार्थना उनके साथ थी। इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर सीएम से लेकर पीएम तक सभी की नजर थी। मजदूरों के बहुत करीब पहुंच कर अमेरिकी ऑगर मशीन ‘नाकाम’ हो गई। इसके बाद पहाड़ का सीना चीरकर ‘रैट होल माइनर्स’ ने मजदूरों को दोबारा जिंदगी दी। आखिर वह पल कैसा था जब रैट माइनर्स टनल में मजदूरों के पास पहुंचे?

मंगलवार की रात एक-एक कर 41 मजदूर टनल से बाहर निकले। देश-दुनिया के लोगों के लिए यह एक भावुक क्षण था। दरअसल, ऑगर के ‘नाकाम’ हो जाने के बाद 26 नवंबर को रैट माइनर्स को बुलाया गया था। कुल 6 रैट माइनर्स ने एक दिन के काम को महज 15 घंटे में ही पूरा कर लिया। ‘आजतक’ से बातचीत के दौरान एक रैट माइनर ने बताया कि यह रेस्क्यू ऑपरेशन हमारे लिए एक जंग जैसा था। हमें विश्वास था कि यह काम हम पूरा करके दिखाएंगे। हमारा सिर्फ एक ही लक्ष्य था कि टनल में फंसे अपने भाइयों को सुरक्षित बाहर निकालना।

रैट माइनर्स ने बताया कि ‘जब हमने टनल के अंदर का आखिरी पत्थर हटाया तो यह हमारे लिए एक भावुक पल था। पत्थर हटाते ही अंदर फंसे सभी मजदूरों ने हमें देखा। वो हमें देखते ही खुश हो गए, वो रोने लगे।’ मोनू नाम के एक रैट माइनर से बताया कि ‘मुझे देखते ही वो लोग गले से लगा लिए। इसके बाद उन लोगों के पास काजू-किशमिश था, उन्होंने वो हमें खाने के लिए भी दिया।’ एक और माइनर ने बताया कि जब हम सब सुरंग के अंदर पहुंचे तब हम भी रोने लगे थे।

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